ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार को हुए तीन ट्रेनों की टक्कर (Coromandel Express Accident) में 275 पीड़ितों में से लगभग 100 की पहचान नहीं हो सकी है. इससे परिवारों का दुख और बढ़ गया है. परिजन अपने लापता प्रियजनों की तलाश में अस्पताल के मुर्दाघर से लेकर स्टेशन के आसपास चक्कर काट रहे हैं. सैकड़ों क्षत-विक्षत शव हैं. किसी का धड़ गायब है किसी का हाथ या पैर कटा हुआ है. कुछ शरीर के टुकड़े ऐसे हैं जिन पर कई दावा कर रहे हैं. राज्य सरकार यह तय करने में असमर्थ हो गई कि शव किसे सौंपा जाए? ऐसे में अब डीएनए टेस्ट (DNA Test) ही इन लोगों की आखिरी उम्मीद है.
NDTV ने मंगलवार को भुवनेश्वर में कम से कम तीन परिवारों से मुलाकात की. इन तीनों परिवार ने दावा किया कि उनके प्रियजनों के शव किसी और को सौंपे गए हैं. वहीं, कुछ परिजन रोजाना मुर्दाघर के चक्कर काट रहे हैं. अधिकारियों की ओर से बताया गया है कि डीएनए टेस्ट के रिजल्ट आने के बाद ही शव सौंपे जाएंगे.
एक शव पर कोई परिवार कर रहे दावा
भुवनेश्वर नगर निगम के कमिश्नर विजय अमृता कुलंगे ने कहा कि शव सौंपने में देरी हो रही है, क्योंकि कुछ रिश्तेदार शव लेने आ रहे हैं, जिनका ब्लड रिलेशन नहीं है. अधिकारियों ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए डीएनए टेस्ट जरूरी है. इससे प्रक्रिया पारदर्शी रहेगी. हालांकि, भुवनेश्वर नगर निगम के कमिश्नर ने उन परिवारों के दावों की पुष्टि करने से इनकार कर दिया है जिन्होंने कहा था कि उनके प्रियजनों के शव किसी और को दे दिए गए हैं.
16 साल के बेटे की लाश लेने मुर्दाघर के चक्कर काट रही मां
भुवनेश्वर के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में एक सदमे से गुजर रहीं मां से NDTV ने बात की. उन्होंने कहा, "मेरे 16 वर्षीय बेटे के शव की पहचान कर ली गई है, लेकिन अस्पताल वालों ने बताया कि शव पहले ही किसी और को सौंप दिया गया है." वहीं, नेपाल की 30 वर्षीय मीरा देवी ने कहा, "उन्होंने मुझे बताया कि शव को कोई और ले गया है."
चाचा के शव पर अन्य महिला ने किया दावा
पश्चिम बंगाल निवासी जकारिया लस्कर ने भी कहा कि उन्हें अस्पताल के अधिकारियों ने बताया है कि उनके चाचा अबू बकर लस्कर के शव पर मालदा की एक महिला ने दावा किया है. उन्होंने कहा, "वे कह रहे हैं कि मालदा की एक महिला शव को ले गई है. मुझे महिला का नाम नहीं पता."
कई लोगों के लिए कभी न खत्म होने वाला इंतजार
हादसे में अपनों को खोने वाले कुछ अन्य परिवारों के लिए यह एक कभी न खत्म होने वाला इंतजार सरीखा है. पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना के गोराचंद बनर्जी अपने बेटे सुभाषीश बनर्जी के शव को लेने के लिए सोमवार से एम्स के मुर्दाघर के चक्कर काट रहे हैं. उन्हें बताया गया है कि डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट आने के बाद ही शव सौंपा जाएगा.
तीन ट्रेनों की टक्कर में 288 लोगों की गई जान
बता दें कि 2 जून की शाम 7:10 बजे हुई तीन ट्रेनों की टक्कर में 288 लोगों की जान गई है. 1175 यात्री घायल हुए. इनमें से 793 को इलाज के बाद डिस्चार्ज किया जा चुका है. मरने वालों के परिवार को रेलवे की तरफ से हाथों-हाथ 10 लाख रुपये की मदद दी जा रही है. लाश की पहचान होते ही 9.5 लाख रुपये का चेक और 50 हजार कैश दिया जा रहा है.
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