तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन लगातार चर्चाओं में हैं. सनातन धर्म को लेकर उनके बयान को लेकर देश भर में लोगों की प्रतिक्रिया सामने आ रही है. इस बीच एक बार फिर उन्होंने अपने बयान का बचाव किया है. साथ ही उन्होंने आरोप लगाया है कि नई संसद के उद्घाटन के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेदभाव के कारण ही नहीं बुलाया गया. साथ ही उन्होंने कहा कि उनका बयान इस विषय पर डीएमके के लंबे समय से चले आ रहे रुख को ही रेखांकित करता है.
मंगलवार को जब मीडिया ने उनसे पूछा कि क्या वह सामाजिक भेदभाव का एक मौजूदा उदाहरण दे सकते हैं, सीएम स्टालिन के बेटे ने कहा कि राष्ट्रपति मुर्मू को नई संसद के उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं किया जाना वर्तमान सनातन भेदभाव का एक उदाहरण है.
गौरतलब है कि पेरियार के तर्कवादी सिद्धांतों पर आधारित, द्रमुक ने दशकों तक सनातन धर्म का विरोध किया है और भरपूर राजनीतिक लाभ भी उठाया है. उदयनिधि स्टालिन ने आज एक बार फिर दोहराया कि वह अपनी टिप्पणियों के लिए किसी भी कानूनी कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार हैं. ऐसी खबरें हैं कि उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के लिए तमिलनाडु के राज्यपाल से मंजूरी लेने की कोशिश की जा रही है.
इससे पहले उदयनिधि स्टालिन ने महाभारत के एक उदाहरण के साथ भेदभाव का उल्लेख किया था. उन्होंने एक्स पर लिखा था कि शिक्षक अतुलनीय लोग हैं जो हमेशा केवल भविष्य की पीढ़ियों के बारे में सोचते हैं. हमारे द्रविड़ आंदोलन और उन शिक्षकों के बीच का बंधन जो अंगूठे मांगे बिना सद्गुणों का प्रचार करते हैं, हमेशा के लिए जारी रहेगा. हैप्पी टीचर्स डे.शिक्षकों द्वारा "अंगूठे" मांगने का उल्लेख पांडवों और कौरवों के शिक्षक द्रोणाचार्य के संदर्भ में आता है.
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