सनातन धर्म को लेकर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे और राज्य सरकार में मंत्री उदयनिधि स्टालिन के बयान पर विवाद जारी है. उदयनिधि की टिप्पणी का कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक खरगे और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम ने भी समर्थन किया. ऐसे में ये नेता अब आलोचनाओं के घेरे में हैं और उनके ख़िलाफ़ कई जगह केस भी दर्ज किए गए हैं.
सनातन धर्म को लेकर विवादित टिप्पणी के विरोध में उदयनिधि स्टालिन और प्रियांक खरगे के ख़िलाफ़ यूपी के रामपुर में एफ़आईआर भी दर्ज कराई गई है. कुछ वकीलों ने अपनी धार्मिक भावनाएं आहत होने के आरोप में रामपुर की कोतवाली सिविल लाइंस में एफ़आईआर दर्ज कराई है. बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर में भी उदयनिधि स्टालिन के ख़िलाफ़ एक याचिका दर्ज कराई गई है, जिसमें कहा गया है कि उदयनिधि के बयान से करोड़ों हिंदुओं की भावनाएं आहत हुई हैं.
262 गणमान्य लोगों ने सीजेआई को लिखा खत
इससे पहले 262 गणमान्य लोगों जिनमें कई पूर्व जज, रिटायर्ड अधिकारी और पूर्व सेना अधिकारी शामिल हैं, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को एक पत्र लिखा, जिसमें मांग की गई कि उदयनिधि स्टालिन के नफ़रती बयान का स्वत: संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करे, क्योंकि ये बयान सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ सकता है, हिंसा को भड़का सकता है. पत्र में ये कहते हुए तमिलनाडु सरकार के ख़िलाफ़ भी अवमानना की कार्रवाई की मांग की गई है कि उसने सनातन धर्म के ख़िलाफ़ उदयनिधि के नफ़रती बयान पर कोई कार्रवाई नहीं की.
किसी भी केस का सामना करने के लिए तैयार- उदयनिधि
उधर उदयनिधि स्टालिन का कहना है कि वो अपने ख़िलाफ़ दायर होने वाले किसी भी केस का सामना करने को तैयार हैं. आपको बता दें कि बीते शनिवार को चेन्नई में तमिलनाडु प्रगतिशील लेखक और कलाकार संघ के कार्यक्रम में उदयनिधि स्टालिन ने कहा था, "कुछ चीज़ों का विरोध नहीं किया जा सकता, उनका खात्मा किया जाना चाहिए. मच्छर, डेंगू बुखार, मलेरिया और कोरोना का विरोध नहीं किया जा सकता. उनका उन्मूलन किया जाता है. इसी तरह सनातन धर्म का भी खात्मा किया जाना चाहिए."
सूत्रों के हवाले से आज ख़बर आई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट की बैठक में कहा है कि सनातन धर्म पर उदयनिधि स्टालिन के बयान का ठीक से जवाब दिया जाए. सूत्रों ने ये भी बताया कि भारत बनाम इंडिया के विवाद पर प्रधानमंत्री ने मंत्रियों को बयानबाज़ी से बचने की सलाह दी.
इस मुद्दे पर राजनीति तो होती ही रहेगी, लेकिन ये जानना ज़रूरी है कि सनातन धर्म दरअसल है क्या? और किस तरह से उसे समझा जाता रहा है? इस मामले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचार को जानना भी ज़रूरी है जो बीजेपी का वैचारिक आधार रही है.
आरएसएस के मुताबिक, अनादिकाल से जीने का जो तरीका है, वही सनातन धर्म है. सभी विचार और मान्यता इसी से निकली हैं. भारत में जिन भी नए पंथों ने शक्ल ली, वो सब सनातन धर्म के इसी दर्शन से निकले हैं.
2003 में आरएसएस की फ़ैसला लेने वाली सबसे बड़ी इकाई अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने एक प्रस्ताव पास कर सनातन धर्म को हिंदुत्ववाद और राष्ट्रवाद के बराबर बताया था. आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत अक्सर सनातन धर्म पर अपने विचार रखते आए हैं.
सनातन धर्म किसी का धर्मांतरण नहीं करता- मोहन भागवत
अगस्त 2022 में त्रिपुरा में एक मंदिर के उद्घाटन के समय संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था, "भारत में खान-पान की कई आदतें, कई संस्कृतियां और परंपराएं हैं और इस सबके बावजूद हम सबके बीच एक तरह का संबंध है. सभी समुदायों के विचार में भारतीयता है, वो सनातन धर्म का गुणगान करते हैं. हमें सनातन धर्म को बचाना है. सनातन धर्म सबको अपना मानता है. वो किसी का धर्मांतरण नहीं करता, क्योंकि वो जानता है कि किसी की भी शुद्ध हृदय से प्रार्थना उसे उसके भगवान से जोड़ती है."
अब सवाल ये है कि क्या इस मुद्दे पर विपक्षी दलों के गठबंधन को कोई नुक़सान होगा? आने वाले तीन-चार महीनों में पांच राज्यों राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिज़ोरम में विधानसभा चुनाव होने हैं. तो क्या इन राज्यों में बीजेपी सनातन धर्म के मुद्दे पर विपक्ष की एकता में दरार डाल पाएगी?
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