लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) में वाराणसी (Varanasi Seat) सीट VVIP सीट है, जिसपर सबकी नजर रहती है. पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) तीसरी बार इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. बीजेपी के कई दिग्गज यहां से सांसद रह चुके हैं, लेकिन पीएम मोदी के एंट्री के बाद से यहां का चुनाव काफी दिलचस्प रहा है. चुनाव में देश के मिजाज को जानने के लिए NDTV Election Carnival की टीम दिल्ली, हरिद्वार, मेरठ, भरतपुर, लखनऊ, मैनपुरी और अयोध्या के बाद सोमवार (15 अप्रैल) को वाराणसी पहुंचा. रुद्राक्ष कंवेंशन सेंटर में हुए 'इलेक्शन कार्निवल' में NDTV ने युवा वोटर्स से चुनावी मुद्दे भी जानने की कोशिश की. साथ ही वाराणसी के अलग-अलग रंगों का जायजा भी लिया.
वाराणसी सीट पर अब तक 17 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं. इनमें से 7 बार यहां कांग्रेस को जीत मिली. 7 बार ही बीजेपी ने लोकसभा सीट पर कब्जा जमाया. कुर्मी और ओबीसी जाति बाहुल सीट वाराणसी पर किसी भी दल की जीत में अहम भूमिका इस वर्ग की रहती है. इसके साथ ही ब्राह्मण, भूमिहार, वैश्य और मुस्लिम मतदाताओं की निर्णायक भूमिका में रहते हैं. ये सीट सिर्फ यूपी ही नहीं, बल्कि बिहार की कई सीटों पर असर रखती है.
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बीजेपी के इस विजय रथ को रोकने के लिए यूपी में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन में है. समझौते के तहत वाराणसी में कांग्रेस ने अजय राय को उतारा है. कांग्रेस के प्रवक्ता संजीव सिंह कहते हैं, "विकास एक सतत प्रक्रिया है. पंडित कमलापति त्रिपाठी यहां के सीएम हुआ करते थे. वो वाराणसी से कांग्रेस के सांसद भी रहे और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी थे. आप ये विकास देखें. यहां पर ठाकुर रघुनाथ सिंह हुआ करते थे. उनके समय यहां डीरेका (डीजल लोकोमेटिव वर्क्स-अब बीरेका) खुला. ये सब कांग्रेस के समय में हुआ. आज 50 हजार परिवार डीरेका से पलता है. एक भी ऐसा कारखाना मोदी सरकार ने वाराणसी को नहीं दिया."
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संजीव सिंह कहते हैं, "वाराणसी में आईटी को आईआईटी का दर्जा भी मनमोहन सिंह सरकार ने दिया था. मोदी सरकार ने एक ऐसा इंस्टीट्यूट नहीं दिया, जो बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के बराबर का हो. जिस ट्रॉमा सेंटर का फीता काटने पीएम आए, उसका भी काम यूपीए सरकार के दौरान हुआ. कांग्रेस ने विकास दिया है."
समाजवादी पार्टी के महानगर अध्यक्ष दिलीप डे कहते हैं, "काशी में पहले लोग मोक्ष पाने के लिए आते थे. आज ये हालत है कि गंगा में नाले का पानी जाने को लेकर एनजीटी ने पैनाल्टी लगाई है. काशी में कोई काम नहीं हुआ है. विकास के नाम पर बनारस में विनाश हुआ है."
कार्यक्रम के दौरान मतदाताओं से चुनावी मुद्दों के बारे में पूछा गया. एक मतदाता ने कहा, "इस समय केंद्र सरकार ने श्रम कानूनों में बदलाव किया है. थ्री लेबर लॉ लेकर आ गए. इसके तहत उन्होंने फिक्स्ड टर्म एंप्लॉयमेंट का प्रावधान दिया. केंद्र सरकार से मेरा सवाल है कि सबको काम क्यों नहीं मिल रहा." इसके जवाब में यूपी सरकार में मंत्री रवींद्र जायसवाल ने कहा, "वाराणसी में न तो काम की कमी है और न ही क्वालिटी की कमी है. जिसके बाद कोई योग्यता नहीं है, वो बेकार है और बेकार रहेगा."
एक दूसरे वोटर्स ने शहर में घंटों रुके रहने वाले ट्रैफिक को मुद्दा बताया है. साथ ही कई इलाकों में पानी की समस्या और रोजगार को भी वोटर्स चुनावी मुद्दा मानते हैं.
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बीजेपी के रवींद्र जायसवाल दावा करते हैं कि इसबार भी बनारस के वोटर्स बीजेपी और पीएम मोदी के साथ हैं. जबकि समाजवादी पार्टी के महानगर अध्यक्ष दिलीप डे का कहना है कि हवा का रुख कहता है कि यहां सपा-कांग्रेस के गठबंधन की जीत होगी. कांग्रेस के प्रवक्ता संजय सेठ कहते हैं, "वोटर्स जुमले पंसद नहीं करता. हम उन्हें जुमले नहीं देंगे. विकास देंगे."
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