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Thursday, 23 May 2024

NDTV Battleground: विदेश मंत्री ने बताया मोदी सरकार में कितना मिला रोजगार? एक्पर्ट्स से समझें बेरोजगारी और गरीबी कितना बड़ा मुद्दा

लोकसभा चुनाव 2024 (Lok sabha election 2024) के लिए देश की 70 प्रतिशत से अधिक सीटों पर वोट डाले जा चुके हैं. 7 चरण में हो रहे इस चुनाव में जनता के मूड को जानने के लिए एनडीटीवी की तरफ से देश के कई शहरों में समय-समय पर खास शो NDTV Battleground का आयोजन किया गया. दिल्ली में गुरुवार को आयोजित कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर, Teamlease Services के वाइस चेयरमैन मनीष सभरवाल और IMF के पूर्व एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर सुरजीत भल्ला ने हिस्सा लिया.

एस जयशंकर ने मोदी सरकार की योजनाओं और रोजगार का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले 10 साल में 46 करोड़ लोगों ने मुद्रा लोन लिया है.  वहीं रोज 14 किलोमीटर रेलवे ट्रैक बन रहे हैं तो किसी को रोजगार मिल रहा होगा. Teamlease Services के वाइस चेयरमैन मनीष सभरवाल ने कहा कि अहम मुद्दा बेरोजगारी से अधिक कम वेतन और गरीबी है. वहीं सरजीत भल्ला ने कहा कि रोजगार के अवसर बीजेपी सरकार में बढ़े हैं.  

लोगों को मिल रहा है रोजगार: एस जयशंकर
चुनाव में विपक्षी गठबंधन ने बेरोजगारी और असमानता को मुद्दा बनाया. ये भी कहा गया कि एनडीए को 400 पार का टारगेट इसलिए पूरा करना है, क्योंकि ये संविधान को बदलना चाहते हैं. विपक्ष के इन दावों पर विदेश मंत्री ने मोदी सरकार की योजनाओं का जिक्र किया. उन्होंने कहा, "पिछले 10 साल में 46 करोड़ लोगों ने मुद्रा लोन का लाभ उठाया. रोज 28 किलोमीटर सड़क बन रहे हैं. 14 किलोमीटर रेलवे ट्रैक बन रहे हैं. ऐसे में जाहिर तौर पर किसी न किसी को रोजगार मिल रहा होगा. ऐसे में ये कहना कि इतने करोड़ लोग बेरोजगारी हैं या बेरोजगारी दर बढ़ी है... सब बेतुका है."

जयशंकर ने कहा कि , "बीजेपी जब लोगों के बीच जाती है, तो उनसे पूछती है कि उन्हें मोदी सरकार की योजनाओं के तहत राशन का लाभ मिला. आज 81 करोड़ लोगों को हर महीने राशन बिना लीकेज के मिलता है. अगर आप मोदी सरकार की योजनाओं जल जीवन, आवास योजना के आकड़ें देखे, तो जमीनी हकीकत पता चलेगी. 10 साल में 19 करोड़ लोगों को अपना घर मिला. 34 करोड़ लोगों की हेल्थ पॉलिसी हुई. यानी अगर घर, बिजली, पानी, मुफ्त राशन और स्वास्थ्य सुविधाएं देखें, तो लोगों की जिदंगी बदली है. आज आयुष्मान भारत स्कीम के लाभार्थी 34 करोड़ हो गए हैं. इसमें कहीं न कहीं वोट का भी कुछ कारण होगा. मोदी सरकार ने कहीं तो कुछ डिलिवर किया होगा."

बेरोजगारी कभी नहीं रही चुनौती, उससे बड़ा मुद्दा है गरीबी: मनीष सभरवाल
बेरोजगारी कभी नहीं रही चुनौती, उससे बड़ा मुद्दा है गरीबी चुनाव में बेरोजगारी मुद्दे पर क्यों नहीं हो ही बात? Battleground फिनाले में Teamlease Services के वाइस चेयरमैन मनीष सभरवाल ने इसके जवाब में कहा, "असल में बेरोजगारी कभी भी चुनौती नहीं रही. देश में 1947 से बेरोजगारी 4 से 8% है. समस्या रोजगार गरीबी की है. यानी लोगों के पास नौकरी तो है, लेकिन उस नौकरी के लिए जितनी सैलरी मिलनी चाहिए वो नहीं मिल रहा. देश में बेरोजगारी दर 45% होने का दावा बेतुका है. क्योंकि अगर बेरोजगारी 45% होता, तो लेबर कॉस्ट अपने आप गिर जाती. अर्थशास्त्र में कोई भी जानकारी वोट और मूल्य से आती है. 4 जून को वोट के बारे में पता चल जाएगा. बाकी सब मॉडल है."

2014 से 2024 के बीच बढ़ें रोजगार के अवसर: सुरजीत भल्ला
क्या कल्याणकारी योजनाएं अच्छी राजनीति का संकेत कहा जा सकता है? इसके जवाब में सुरजीत भल्ला कहते हैं, "इसका जवाब स्टेप बाय स्टेप है. अगर आप रोजगार की बात करें, तो 2014 से 2024 के बीच सबसे ज्यादा रोजगार में बढ़त हुई है. उससे पहले 1999 से 2004 तक ऐसा हुआ था. ये दोनों शासनकाल बीजेपी या एनडीए के थे. इनके बीच में जॉबलेस ग्रोथ आता है. सर्वे के मुताबिक, ये जॉबलेस ग्रोथ 2004 से 2011 में आया. इसी दौरान सबसे कम रोजगार बढ़ा. कांग्रेस करती है कि 2004 स 2011 तक ग्रोथ हुई थी. लेकिन वो ये भी बताते ही इस दौरान जॉबलेस ग्रोथ भी बढ़ी थी. उसके बाद को जॉबफुल ग्रोथ को वो नकारते हैं."

सुरजीत भल्ला बताया कि, "हमारे पास 1983 से बेरोजगारी के आंकड़े हैं. अगर इन सभी का एनालिसिस करें तो कुल 10 सर्वे हो गए. 30 साल की उम्र के बाद बेरोजगारी दर महज 1 फीसदी है. युवा बेरोजगारी की बात करें (15 से 29 साल) तो ये हमेशा बढ़ी है. पहले ये 14 फीसदी थी और अब 10 फीसदी हो गई है. अभी के सर्वे देखें, तो सबसे तेज जॉबग्रोथ भारत में हो रहा है. इंफ्रास्ट्रक्टर इंवेस्टमेंट में भी हम आगे हैं."

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