महाराष्‍ट्र : ठाणे के कलवा अस्पताल में एक महीने में 21 नवजात बच्चों की मौत - G.News,ALL IN ONE NEWS BRAKING NEWS , NEWS , TOP BRAKING NEWS, G.News, HINDI NEWS top braking news,

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Friday 5 July 2024

महाराष्‍ट्र : ठाणे के कलवा अस्पताल में एक महीने में 21 नवजात बच्चों की मौत

ठाणे के कलवा अस्पताल में जून में सही तरीके से इलाज न मिलने की वजह से 21 नवजात बच्चों की मौत हो गई. बच्चों की मौत की घटना पर कलवा अस्पताल के अधीक्षक राजेश बारोट ने बताया कि कलवा अस्पताल में पूरे ठाणे जिले से मरीज रेफर किए जाते हैं, वे पहले ही काफी गंभीर हालत में होते हैं. राजेश बारोट ने बताया कि, जो मौतें हुई हैं, उसमें हमारी ओर से इलाज में कोई कमी नहीं आई है. हमने बच्चों का तुरंत इलाज किया है और हरसंभव उन्हें बचाया है. अस्पताल के एनआईसीयू में 90 बच्चे एडमिट हुए थे, इसमें 21 की डेथ हुई है और बाकी बचाए गए. एनआईसीयू में गंभीर बच्चे ही एडमिट होते हैं. इनको भी वैसा ही इलाज मिलता है, जैसा दूसरों को मिलता है, लेकिन बच्चे यहां पहले से ही बहुत गंभीर हालत में आते हैं. अगर बच्चे पहले ही रेफर हो जाते, तो उनको बचाया जा सकता है और इतनी मौतें नहीं होंगी. हम सिर्फ यही चाहते हैं कि गर्भावस्था के दौरान 9 महीने तक बच्चों का प्रॉपर स्क्रीनिंग हो और शुरुआती स्तर पर ही रेफरल किए जाएं. बच्चे एकदम गंभीर हालत में न आएं.

उन्होंने आगे बताया कि कलवा अस्पताल में उल्हासनगर, कल्याण, अंबरनाथ, बदलापुर, कर्जत, खोपोली, जवाहर, मोकाड़ा व पूरे ठाणे जिले से डिलीवरी के लिए यहां पर केस रेफर किए जाते हैं.

बच्‍चों को बचाने का पूरा प्रयास करते हैं : बारोट 

उन्‍होंने बताया कि हम डिलीवरी के दौरान बच्चों को बचाने का पूरा प्रयास करते हैं, लेकिन अक्सर डिलीवरी के बाद बच्चों के शरीर में पॉइजन ज्यादा मात्रा में फैल जाने की वजह से उनकी मृत्यु हो जाती है, या गर्भावस्था के दौरान माता के पेट में पल रहे बच्चे को सही तरीके से इलाज न मिलने की वजह से पॉइजन बच्चों में ज्यादा फैल जाता है और डिलीवरी के दौरान बच्चों की मौत हो जाती है.

कम वजन के कारण बच्‍चों की हुई मौत : पनोट 

वहीं इस बारे में कलवा अस्पताल चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर जयेश पनोट ने बताया कि, जिन 21 बच्चों की मौत की रिपोर्ट है, उसमें से 15 बच्चों की अपने अस्पताल में डिलीवरी हुई थी और 6 बच्चे बाहर के अस्पताल से रेफर किए गए थे. बच्चों की मौत का मुख्य कारण कम वजन था. 19 बच्चे कम वजन के थे. 21 में से 15 बच्चे प्री टर्म डिलीवरी के थे.

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