बांग्लादेश अब धीरे-धीरे हिंसा और उथल-पुथल के दौर से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है. भारत से सटी सीमा पर भी तनाव साफ झलकता है, लेकिन इसी सीमा पर एक अनोखा इलाका है, जहां दोनों देशों के कानून लागू होते हैं और लोग बिना पासपोर्ट और वीजा के स्वतंत्र रूप से घूम सकते हैं.
हालांकि बांग्लादेश ने समझौते का अंत बरकरार रखा, लेकिन भारत ऐसा नहीं कर सका, क्योंकि इसके लिए संवैधानिक संशोधन की जरूरत होती. बाद में 1992 में एक समझौता हुआ और तीन बिगहा कॉरिडोर बांग्लादेश को पट्टे पर दे दिया गया.
इसने एक अनोखी स्थिति पैदा कर दी, जहां इस पट्टे की वजह से बांग्लादेशी नागरिकों को भारतीय धरती पर प्रवेश की अनुमति मिल गई वो भी बिना वीजा या पासपोर्ट के. समझौते की शर्तों के तहत, गलियारे से गुजरने वाले बांग्लादेशियों की तलाशी नहीं ली जाती है और न ही कोई चेकिंग होती है.
भूमि की पट्टी भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश, दोनों संचालित करते हैं. यातायात पुलिसकर्मियों द्वारा नियंत्रित किया जाता है.
गलियारा जिस बांग्लादेशी परिक्षेत्र की ओर जाता है, उसका क्षेत्रफल 19 वर्ग किलोमीटर है और ये चारों तरफ से भारत से घिरा हुआ है.
जून में विरोध प्रदर्शनों की ताज़ा लहर शुरू होने के बाद से 450 से अधिक लोग मारे गए हैं और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने की भी खबरें आई हैं.
बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने शुक्रवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की है और बांग्लादेश में हिंदुओं की रक्षा का भरोसा दिलाया.
बांग्लादेश में शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार के पतन के बाद आठ अगस्त को मोहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में शपथ ली थी.
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