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Monday 7 October 2024

16 मिलियन डॉलर का एक बम... जानिए क्या है इजरायल का MOAB? रूस के FOAB से कितना ताकतवर

इजरायल और फिलिस्तीनी संगठन हमास के बीच गाजा पट्टी में चल रहे जंग को सोमवार को एक साल पूरे हो चुके हैं. 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने गाजा पट्टी की जमीन से इजरायल की तरफ 5 हजार से ज्यादा रॉकेट दागे थे. इन हमलों में इजरायल में कम से कम 1400 लोगों की जान चली गई थी. हमास के लड़ाकों ने सुरंगों के रास्ते घुसपैठ की और कई इजरायली नागरिकों का कत्लेआम किया. 200 से ज्यादा नागरिकों को बंधक बनाकर भी लेकर गए थे. इसके बाद से इजरायल हमास को खत्म करने के लिए गाजा पट्टी पर जमीनी और हवाई हमले कर रहा है.

हमास के खौफनाक हमले से जो जंग शुरू हुई, उसे एक साल के दौरान इजरायल ने भयावह आयामों तक पहुंचा दिया है. इजरायल के हमलों में गाजा तबाह हो चुका है. वहां की 90% आबादी सड़कों पर है और एक वक्त का पेट भरने के लिए तरस रही है. अब इजरायल हमास को जड़ समेत खत्म करने के लिए गाजा में महाबम यानी MOAB (मदर ऑफ ऑल बम) का भी इस्तेमाल कर रहा है. 

आइए जानते हैं क्या है MOAB? इसकी क्या है खासियत? एक महाबम कितनी तबाही मचा सकता है? इजरायल के पास और कौन-कौन से हैं हथियार?

महाबम क्या है?
महाबम नॉन-न्यूक्लियर बम होते हैं, लेकिन विनाशकारी होते हैं. पहले इस बम का नाम Massive Ordinance Air Blast Bomb था. बाद में इसे मदर ऑफ ऑल बॉम्ब कहा जाने लगा. इस बम को अमेरिकी सेना के अल्बर्ट वेमोर्ट्स ने डेवलप किया है. 10 क्विंटल वजनी GBU-43/B मैसिव ऑर्डिनेंस एयर ब्लास्ट (MOAB) बम GPS गाइडेड है. अमेरिका ने इजरायल को ये महाबम दिए हैं. हालांकि, जो असली महाबम है, उसे आम विमानों से गिराया नहीं जा सकता. 

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अमेरिका ने पहली बार कब किया इनका इस्तेमाल?
अमेरिका के मदर ऑल अल बम को GBU-43/B Massive Ordnance Air Blast कहा जाता है. इस बम के आकार और वजन को देखते हुए इसको सी-130 हरक्‍यूलिस विमान के अलावा बी-52 बमबर विमान, एमसी-130ई कांबेट टेलन 1 और दूसरा एमसी-130एच कांबेट टेलर 2 से भी डिलीवर किया जा सकता है. पहली बार अमेरिका ने 2003 में अफगानिस्तान में इन बमों का इस्तेमाल किया था. 9 मार्च 2003 को अमेरिका ने इस बम का इस्तेमाल इराक युद्ध के दौरान भी किया था.    

इस बम की क्या है खासियतें?
-यूएस एयरफोर्स के मुताबिक, मदर ऑफ ऑल बम में मशरूम के जलने जैसा धुआं होता है. 
- इसका वजन 9779 किलोग्राम है और यह GPS गाइडेड बॉम्ब है. 
-ऐसे एक महाबम की कीमत 16 मिलियन डॉलर होती है.  
- इसकी लंबाई 20 फुट होती है. ये करीबन 200 फुट जमीन के अंदर तक जा सकता है. 
- पहली बार अमेरिका ने पहली बार अफगानिस्तान में ISIS के सुरंगों में इन बमों का इस्तेमाल किया. इसमें 36 आतंकवादी मारे गए थे.

ये बम कितना खतरनाक?
-इस बम को एक प्‍लेटफार्म के साथ अटैच कर पैराशूट के जरिए एयर ड्रॉप किया जाता है. कुछ देर बाद इससे जुड़ी दोनों ही चीजें बम से अलग हो जाती हैं. इसके धमाके से 11 टन TNT के बराबर ऊर्जा निकलती है.

-इस बम को GPS के माध्‍यम से अपने टारगेट को हिट करने के लिए भेजा जा सकता है. ये एक पेनिट्रेटर वैपन नहीं है, बल्कि एक एयर बर्स्‍ट बम है. इसका अर्थ है कि ये जमीन में घुसकर नहीं फटता है, बल्कि धरती से कुछ ऊपर धमाका करता है. 

-अमेरिका के ओक्‍लाहोमा के मैकएल्‍स्‍टर आर्मी एम्‍युनिशन प्‍लांट में ऐसे करीब 15 बम बनाए गए थे. ये बम करीब 9.2 मीटर लंबा और 41 इंच चौड़ा है. 

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इजरायल ने हिज्बुल्लाह चीफ के ठिकानों पर गिराये थे महाबम
गाजा पट्टी में चल रहे जंग में लेबनान का मिलिशिया ग्रुप हिज्बुल्लाह हमास के समर्थन में इजरायल पर हमले कर रहा है. इस युद्ध में हिज़्बुल्लाह चीफ हसन नसरल्ला समेत उसके कई कमांडर मारे जा चुके हैं. ईरान की कुद्स फोर्स के कमांडर इस्माइल क़ानी का तीन दिन से कुछ पता नहीं है. ये अंदेशा है कि कहीं उनकी भी मौत न हो चुकी हो. नसरल्ला को मारने के लिए इज़रायल ने 2000 पाउंड के बंकर बस्टर बम का इस्तेमाल किया. इजरायल ने ऐसे 60 से 80 बम नसरल्ला के ठिकानों पर मिनटों के भीतर गिराए थे. 

और कौन-कौन से बमों का इस्तेमाल कर रहा इजरायल?
इसके साथ ही इजरायल गाजा में प्रतिबंधित यूरेनियम बमों का इस्तेमाल कर रहा है. लेबनान में भी उसे ऐसे बम गिराए हैं. इजरायल ने हिज़्बुल्लाह के ठिकाने तबाह करने के लिए बंकर बस्टर बम का इस्तेमाल किया है. इसके अलावा फॉसफोरस बम के इस्तेमाल का आरोप भी उस पर लगा है.

रूस का FOAB क्या है?
अमेरिका के मदर ऑफ ऑल बॉम्ब के जवाब में रूस ने फादर ऑफ ऑल बॉम्ब डेवलप किया है. FOAB का आधिकारिक नाम ATBIP यानी एविएशन थर्मोबैरिक बॉम्ब ऑफ इनक्रीज्ड पॉवर है. 7100 किलोग्राम वजन का यह रूस में बना अब तक का सबसे बड़ा बम है. हवा में विस्फोट करने की क्षमता के कारण यह बम विशेष रूप से विनाशक है. FOAB को पहली बार 2007 में जनता के सामने पेश किया गया था.

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FOAB की खासियतें
-रूस इस बम के लिए RS-28 सरमैट जैसी मिसाइल का इस्तेमाल कर सकता है. यह इंटर कॉन्टिनेंटल मिसाइल 10 टन का पेलोड ले जाने में सक्षम है. 

-फादर ऑफ ऑल बॉम्ब का वजन 7100 किलोग्राम है. इस बम की विनाशकारी ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह एक बार के इस्तेमाल में करीब 300 मीटर के क्षेत्र को जलाकर खाक कर सकता है. 

कितना खतरनाक है FOAB
-एक FOAB से करीब 44 TNT के बराबर ऊर्जा निकलती है. ये कई छोटे न्यूक्लियर वॉरहेड्स को एक साथ गिराने के बराबर होता है. 

-ये बम एयरक्राफ्ट से गिराए जाने के बाद धरती से टकराने से पहले ही हवा में डिटोनेट हो जाता है. इससे निकलने वाली सुपरसोनिक शाकवेव्‍स इतनी अधिक तेज होती हैं कि पल भर में इसकी राह में आने वाली हर चीज खत्‍म होती चली जाती है. 

-इसका हाई टेंपरेचर आसपास के वातावरण से ऑक्‍सीजन सोख लेता है. धमाके के दौरान इसका तापमान दूसरे बमों के मुकाबले कहीं अधिक होता है. यह एक उच्च दबाव वाली विस्फोट तरंग और लंबे समय तक गर्मी पैदा करता है.

कितनी ताकतवर है इजरायली सेना?
-ग्लोबल फायर पावर इंडेक्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायली आर्मी दुनिया की 20वीं सबसे ताकतवर आर्मी है. इजरायली सेना में 169,500 एक्टिव सैनिक हैं. उसके पास 465,000 रिज़र्व सैनिक हैं. कुल मिलाकर 634500 सैनिक हैं. सैनिकों के मामले में वह ईरान से पीछे है. इजरायल का डिफेंस बजट ईरान के मुकाबले 7 गुना ज्यादा है.

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-इजरायली आर्मी के पास कम से कम 241 लड़ाकू जेट, 48 लड़ाकू हेलिकॉप्टर और 2200 के आसपास टैंक हैं. नेवी की बात करें तो इजरायल के पास कम से कम 7 वॉरशिप और 6 सबमरीन हैं. ये न्यूक्लियर वॉरहेड ले जाने और लॉन्च करने में सक्षम हैं. इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद इजरायल की सबसे बड़ी ताकत है जो अपने टारगेट को चुन चुन कर खत्म करने के लिए जानी जाती है.

- इजरायल के पास आयरन डोम और डेविड्स स्लिंग जैसे एयर डिफेंस सिस्टम हैं, ये लॉन्ग रेंज से लेकर छोटी दूरी की मिसाइलों, रॉकेट और ड्रोन को हवा में ही मार गिराते हैं. इसके अलावा इजरायल के पास 1200 से अधिक तोपखाने, मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम और स्मार्ट बम जैसे हथियार भी हैं, जो टारगेट पर अचूक निशाना लगाते हैं.

-हालांकि, इजरायल ने भी कभी खुलकर नहीं माना है कि उसके पास न्यूक्लियर वेपन है, लेकिन तमाम डिफेंस एक्सपर्ट्स और थिंक टैंक ने इसकी पुष्टि की है. रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल के पास कम से कम एक दर्जन न्यूक्लियर हथियार हैं. 

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