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Sunday, 6 April 2025

दमोह में 'फर्जी' लंदन वाला डॉक्टर ने किए 15 ऑपरेशन, कलेक्टर ने दिेए जांच के आदेश

मध्य प्रदेश के दमोह जिले के मिशन अस्पताल में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक व्यक्ति ने खुद को हृदय रोग विशेषज्ञ बताकर 15 हृदय सर्जरी कीं. एक शिकायत के अनुसार, वह हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं था, बल्कि उसने खुद को हृदय रोग विशेषज्ञ होने का दिखावा किया था. यह शिकायत दिसंबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच दमोह जिले के मिशन अस्पताल में हुई मौतों से जुड़ी है.

आरोपी की पहचान नरेंद्र विक्रमादित्य यादव के रूप में हुई है, जिसने खुद को लंदन स्थित प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ एन जॉन कैम बताकर मरीजों का इलाज किया. फर्जी हृदय रोग विशेषज्ञ ने ब्रिटेन के प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ जॉन कैम के नाम का दुरुपयोग किया. मरीजों को गुमराह कर उनका इलाज किया, जिससे कई लोगों की मौत हो गई.

कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. मुकेश जैन और जिला स्वास्थ्य अधिकारी (डीएचओ) डॉ. विक्रम चौहान ने कथित लापरवाही के कारण हुई इन मौतों की पुष्टि की है. दमोह कलेक्टर सुधीर कोचर ने मामले की जांच के लिए एक विशेष टीम गठित की है. उन्होंने जांच पूरी होने तक मामले पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने भी मामले का संज्ञान लिया है और जांच शुरू कर दी है.

इस बीच, इस खुलासे ने उन परिवारों को झकझोर दिया है, जिन्होंने अस्पताल में इलाज के दौरान अपने प्रियजनों को खो दिया था. नबी कुरैशी की 63 वर्षीय मां रहीसा को 13 जनवरी को दिल का दौरा पड़ने के बाद मिशन अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 14 जनवरी को उनकी एंजियोग्राफी की गई. दो दिन बाद यानी 16 जनवरी को उनकी एंजियोप्लास्टी हुई, जिसके दौरान उन्हें कथित तौर पर दिल का दौरा पड़ा और उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया. कुछ ही देर बाद उनकी मौत हो गई.

'मीडिया से पता चला कि एक फर्जी डॉक्टर...'
नबी कुरैशी ने एनडीटीवी से बात करते हुए अपनी आपबीती सुनाई. उन्होंने कहा, "हमें बताया गया कि उसकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई है, इसलिए हमने पोस्टमार्टम नहीं कराया. लेकिन बाद में हमें मीडिया से पता चला कि एक फर्जी डॉक्टर मरीजों का ऑपरेशन कर रहा था. अस्पताल या प्रशासन की ओर से अब तक किसी ने हमसे बात तक नहीं की है."

एक अन्य मामले में पटेरा के जितेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि उनके पिता मंगल सिंह को 4 फरवरी को गैस से संबंधित समस्या के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनकी एंजियोग्राफी की गई और हृदय शल्य चिकित्सा की सिफारिश की गई. सर्जरी के कुछ ही घंटों बाद उनकी मृत्यु हो गई. ऑपरेशन से पहले और बाद में डॉक्टर उपलब्ध नहीं थे. उन्होंने हमें 8,000 रुपये का इंजेक्शन खरीदने के लिए कहा. लेकिन कभी नहीं लगाया. 

एनएचआरसी की एक टीम मामले की जांच करने के लिए 7 से 9 अप्रैल तक दमोह का दौरा करेगी. एनएचआरसी के सदस्य प्रियांक कानूनगो ने कहा कि जांच दल शिकायत में उल्लिखित संस्थान और प्रशासनिक अधिकारियों सहित व्यक्तियों की जांच करेगा. 



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