हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद अब सबकी नजरें महाराष्ट्र और झारखंड की राजनीतिक हलचलों पर टिकी हैं. इन दोनों राज्यों में आगामी कुछ महीनों में चुनाव होने वाले हैं. शुक्रवार को महाराष्ट्र एक बार फिर सुर्खियों में रहा और इस बार वजह बने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष अजित पवार. महाराष्ट्र मंत्रिमंडल की बैठक से गुरुवार को अचानक बीच में उठकर निकल जाने के बाद सियासी चर्चा शुरू हो गई कि क्या अजित पवार एनडीए से नाराज हैं? क्या वो फिर से पाला बदलने वाले हैं?
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के गुरुवार को मंत्रिमंडल की बैठक से जल्दी चले जाने के बाद एक बार फिर से उनकी नाराजगी को लेकर अटकलें शुरू हो गईं. फिर पहले से लेकर अब तक के सभी घटनाक्रम पर चर्चाएं होने लगीं. कहा जाने लगा कि महायुति में सब कुछ ठीक नहीं है. अजित पवार एक बार फिर से पलटी मार सकते हैं.
इस बात को इसलिए भी हवा मिली, क्योंकि मुंबई में हुई महत्वपूर्ण कैबिनेट बैठक में पवार की सिर्फ कुछ देर की उपस्थिति ने लोगों को चौंका दिया था. खासकर इसलिए क्योंकि उनकी अनुपस्थिति में वित्तीय रूप से महत्वपूर्ण कई निर्णय लिए गए थे. पवार के जाने के बाद ढाई घंटे तक चली बैठक में 38 निर्णय लिए गए, जिनमें से कई निर्णय वित्तीय रूप से काफी महत्वपूर्ण थे.
अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ ‘महायुति' गठबंधन में मौजूदगी और उनकी पार्टी द्वारा कुछ भाजपा नेताओं के मुस्लिम विरोधी प्रचार का विरोध करने के बाद मतभेद पैदा हो गए थे.
हालांकि कुछ ही वक्त बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की ओर से इन खबरों का खंडन किया गया और कहा गया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के सत्तारूढ़ गठबंधन महायुति में सब कुछ ठीक है.
अजित पवार ने कहा, “मुझे मराठवाड़ा क्षेत्र के अहमदपुर में एक निर्धारित कार्यक्रम में शामिल होने के लिए जल्दी रवाना होना था. कल लिए गए सभी निर्णयों को मेरी मंजूरी प्राप्त है. ”
महायुति के तीनों सहयोगी दलों ने 228 सदस्यीय विधानसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे को अभी अंतिम रूप नहीं दिया है, जिसके अगले महीने होने की उम्मीद है.
अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा का महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन बेहद खराब रहा था. पार्टी ने जिन चार सीटों पर चुनाव लड़ा था, उनमें से तीन पर उसे हार का सामना करना पड़ा था. वहीं शरद पवार के प्रति लोगों की सहानुभूति रही और उन्हें आठ सीटों पर जीत मिली थी.
from NDTV India - Pramukh khabrein https://ift.tt/D8mUGCV
No comments:
Post a Comment